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महानगरों के प्ले स्कूल की तरह सुंदर आंगनबाड़ी पहाड़ी कोरवा के बस्तियों में

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रायपुर, मुट्ठी से जिस तरह कोई जुगनू निकल पड़े, देखा उसे तो आंख से आंसू निकल पड़े। पहाड़ी कोरवा बस्तियों की नई पीढ़ी के बच्चे जुगनुओं की तरह उम्मीद की रौशनी से जगमगा रहे हैं। पीएम जनमन योजना के तहत बना जशपुर जिले के ग्राम दर्रीपारा कुटमा का आंगनबाड़ी केंद्र महानगरों के प्ले स्कूल की तरह नजर आता हैं जहां छोटे छोटे टेबल हैं, सामने एक टीवी है, जहां गुलजार का गीत लकड़ी की काठी चल रहा है खेल-खेल के बहाने बच्चों का बाहरी दुनियां से सरोकार हो रहा है।

पीएम जनमन योजना के तहत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार विशेष पिछड़ी जनजातियों में बुनियादी सुविधाओं के लिए किये जा रहे नवाचारी कार्य

यह परिवर्तन आया है, पीएम जनमन योजना से। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार पहाड़ी कोरवा बस्तियों में हरसंभव सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से यह कार्य हो रहा है। इसी के मुताबिक महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले में इस योजना के तहत 17 आंगनबाड़ी केंद्रों की स्वीकृति दी गई है।

कुटमा की आंगनबाड़ी एक छोटे से प्ले स्कूल की तरह है जहां बहुत सारे खिलौने हैं और खेल खेल में ही शिक्षा की अलख जगाई जा रही है, बच्चों को ड्रेस प्रदान की गई है। एक बिल्कुल साफसुथरा व्यवस्थित आंगनबाड़ी केंद्र बना है। बिल्कुल अंदरूनी बसाहटों में भी पीएम जनमन योजना के तहत हो रहे इन कार्यों से बड़ी उम्मीद सामने आती है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में यह आंगनबाड़ी केन्द्र बनकर तैयार हो रहे हैं। कलेक्टर रोहित व्यास ने इन केंद्रों में साफ पानी सहित सभी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित कराई हैं। यहां आरओ वाटर की सुविधा है। जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार ने बताया कि यहां 6 वर्ष तक के बच्चों को प्रतिदिन गर्म भोजन दिया जाता है और नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच की जाती है जिससे सुपोषण के लक्ष्यों को ट्रैक करने के लिए कार्य किया जा रहा है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय शर्मा ने बताया कि हमारी कोशिश है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चे खेल-खेल में ही सीखें, स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतें उन्हें सिखायें जिससे वे हमेशा सुपोषित एवं स्वस्थ्य रहें। खाने के पूर्व हाथ धुलाना उन्हें बताया जाता है, ताकि यह उनकी आदत में शामिल हो। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं का फीडबैक बहुत अच्छा है। आंगनबाड़ी केंद्रों के इतने अच्छे माहौल के चलते बच्चे यहां समय गुजारना पसंद करते हैं जिससे उनकी उपस्थिति भी अच्छी खासी बढ़ी है। 

बरसों तक बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही इन बस्तियों में प्रधानमंत्री पीएम जनमन योजना एक नई उम्मीद की तरह है और इसके तेजी से हो रहे क्रियान्वयन के चलते एक पूरी पीढ़ी विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाने को तैयार है।

डॉ. अब्दुल कलाम अलंकरण से सम्मानित होंगे शिक्षक- महेन्द्र

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 शिक्षक दिवस विशेष 

आरंग। "प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में, प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा संस्था द्वारा राज्य भर में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, विज्ञान के प्रचार-प्रसार ,जन सेवा ,प्रकृति संरक्षण सहित अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए संस्था द्वारा चयनित उत्कृष्ट शिक्षकों को अलंकृत किया जाता है। जिसमें शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चरौदा के शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल को "डॉ अब्दुल कलाम अलंकरण" के लिए चयन किया गया है। उन्होंने बताया प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन संस्था प्रतिवर्ष प्रदेश भर में अलग अलग क्षेत्र में नवाचार व उल्लेखनीय कार्य करने वालों शिक्षकों के कार्य व प्रस्ताव के आधार पर चयन होता है।इस वर्ष भी प्रदेश भर से 100 शिक्षकों एवं 10 खोजी छात्रों को उनके विलक्षण प्रतिभा और अलग अलग क्षेत्र में रचनात्मक कार्यो के आधार पर कैटेगरी के हिसाब से चयनित किया गया है।

महेन्द्र पटेल

शिक्षा के साथ-साथ जन सेवा में है खास पहचान 

जिसमें आरंग चरौदा के शिक्षक महेन्द्र पटेल को शिक्षा के साथ-साथ विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए डाक्टर अब्दुल कलाम अलंकरण के लिए चयनित किया गया है।सभी चयनित शिक्षकों को सोमवार को कुरूद में आयोजित सम्मान समारोह 2025 में सम्मानित किया जाएगा। ज्ञात हो कि शिक्षक पटेल को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग संस्था द्वारा अनेकों सम्मान मिल चुका है।वहीं इस उपलब्धि के लिए इनके शाला के शिक्षकों ,बच्चों, प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन से अभिषेक शुक्ला,लखन साहू , मनीष अहीर, हेमंत उईके, सहित नगर के स्वयंसेवी संस्था पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दिए हैं।


लुत्ती बांध के टूटने पर जताई गहरी नाराज़गी, इस तरह की गलती नहीं की जाएगी बर्दाश्त – मुख्यमंत्री साय

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रायपुर,  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बलरामपुर–रामानुजगंज जिले में स्थित लुत्ती बांध के टूटने की घटना पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की। उन्होंने कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह की गलती किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। श्री साय ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि मैदानी अधिकारी और कर्मचारी फील्ड में जाकर नियमित निरीक्षण नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण यह स्थिति बनी है। उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सतत रूप से फील्ड में जाकर बांधों सहित अन्य संरचनाओं का निरंतर निरीक्षण करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में जल संसाधन विभाग की गहन समीक्षा बैठक ली। उन्होंने सिंचाई परियोजनाओं के रखरखाव और मरम्मत पर विशेष ध्यान देने, सभी बांधों की जलभराव क्षमता, वर्तमान सिंचाई स्थिति और आगामी परियोजनाओं की प्रगति आदि के सम्बन्ध में अधिकारियों को आवश्यक दिशा–निर्देश दिए। साथ ही विशेष रूप से बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 का कड़ाई से पालन करने तथा जिला प्रशासन के साथ प्रभावी समन्वय स्थापित करने के निर्देश भी दिए।

बैठक में मुख्यमंत्री साय ने लक्षित सिंचाई क्षमता और वास्तविक सिंचाई क्षमता के बीच अंतर को कम करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने विशेषकर बस्तर और सरगुजा संभाग की अधूरी योजनाओं को शीघ्र पूर्ण करने तथा निर्माणाधीन वृहद परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर बल दिया, ताकि किसानों को योजनाओं का लाभ समय पर मिल सके।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की जल संसाधन विभाग के कामकाज की समीक्षा

बैठक में विभागीय अधिकारियों ने जानकारी दी कि वर्तमान में 04 वृहद परियोजनाएँ, 357 लघु परियोजनाएँ और 300 एनीकेट, इस प्रकार कुल 661 कार्य प्रगतिरत हैं। इसके अतिरिक्त 1036 जीर्णोद्धार कार्य भी चल रहे हैं। इस तरह कुल 1697 कार्य प्रगतिरत हैं, जिनमें लगभग ₹8966 करोड़ की राशि व्यय होगी।

इस बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव रवि मित्तल, जल संसाधन विभाग के सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो, प्रमुख अभियंता इंद्रजीत उईके तथा बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग मंडलों के मुख्य अभियंता सहित जल संसाधन विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।


बंद क्वार्टर से कपल पकड़े गए, वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

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 रायपुर : प्रदेश के कोरबा जिले के दीपका क्षेत्र में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के एक बंद क्वार्टर से दो कपल को पकड़े जाने का मामला सामने आया है।


जानकारी के अनुसार, दोनों युवक SECL के कर्मचारी हैं जिन्हें अभी तक कंपनी की ओर से आवास आवंटित नहीं हुआ था। ऐसे में उन्होंने एक बंद क्वार्टर का ताला तोड़कर अंदर प्रवेश किया।

स्थानीय लोगों को शक होने पर पड़ोसियों ने सुरक्षा टीम को सूचना दी। मौके पर पहुंची SECL की सुरक्षा टीम ने दोनों कपल को क्वार्टर से पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान एक युवती ने खुद को गर्लफ्रेंड बताया जबकि दूसरी ने पहले खुद को बहन बताया, लेकिन जांच में सामने आया कि दोनों ही युवतियां कर्मचारियों की गर्लफ्रेंड थीं।

इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। मामले की गंभीरता देखते हुए सुरक्षा टीम ने दोनों कर्मचारियों से पूछताछ की और युवतियों को समझाइश देकर छोड़ दिया।

दीपका थाना प्रभारी प्रेमचंद साहू ने बताया कि SECL प्रबंधन की ओर से अब तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर पुलिस जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी।

धमतरी जिले में सौर सुजला योजना बना किसानों की खुशहाली का नया सूरज

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धमतरी, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्ष 2016-17 में प्रारंभ की गई सौर सुजला योजना आज राज्य के किसानों के जीवन में खुशहाली का नया अध्याय लिख रही है। विशेषकर धमतरी जिले में यह योजना किसानों के लिए संजीवनी साबित हुई है। जहां पहले किसान केवल वर्षा आधारित खेती पर निर्भर रहते थे और सिंचाई की कमी से उत्पादन प्रभावित होता था, वहीं अब सूर्य की ऊर्जा से संचालित सोलर पंप किसानों के लिए बारहमासी खेती का भरोसेमंद साधन बन गए हैं।

किसानों के जीवन में नई रोशनी

धमतरी जिले में अब तक कुल 3068 सोलर पंपों की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (क्रेडा) द्वारा की जा चुकी है। इन पंपों से किसानों को धान, गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन, सब्ज़ी और फल-फूल जैसी फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर करने का अवसर मिला है।गांव-गांव में किसान अब एक सीजन की जगह पूरे साल खेती कर पा रहे हैं, जिससे उनकी आय दोगुनी हुई है और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आया है।

किसानों की जुबानी – सौर पंप से मिली नई उम्मीद

ग्राम गोरेगांव के किसान अमृत लाल बताते हैं कि पहले बरसात पर ही खेती करना पड़ता था। बिजली की लाइन खेत तक नहीं पहुंची थी। अब सौर पंप लगने से साल भर सब्ज़ी और धान की खेती कर पा रहा हूँ। आमदनी भी बढ़ गई है और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई अच्छे से कर पा रहा हूँ।

ग्राम चिपली के  लक्ष्मी नाथ का कहना है –कि “डीजल पंप से खेती करना बहुत महंगा पड़ता था। तेल के दाम भी बढ़ते रहते थे। अब सूरज की रोशनी से खेतों को पानी मिलता है, कोई खर्च नहीं होता। यह योजना हम जैसे छोटे किसानों के लिए वरदान है।”

ग्राम भोथली के युवा किसान श्री रामेश्वर ने उत्साहित होकर कहा – पहले गांव में खेती छोड़कर बाहर नौकरी ढूँढने जाना पड़ता था। अब सोलर पंप से अच्छी खेती-बाड़ी  हो रही है ।

कई  महिला किसान सब्ज़ी की खेती कर शहर में बेच रही है । महीने में इतना कमा लेती  है कि  बाहर जाने की ज़रूरत ही नहीं रही।”

छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान

इस योजना के अंतर्गत किसानों को 90 प्रतिशत तक अनुदान शासन द्वारा दिया जाता है। केवल शेष राशि उन्हें अंशदान के रूप में देनी होती है। इतना ही नहीं, एनिकट, स्टॉप डेम एवं चेक डेम के किनारों पर 3 से 5 एचपी क्षमता वाले सरफेस सोलर पंप 97 प्रतिशत अनुदान पर लगाए जा रहे हैं। इससे जल स्रोत के पास बसे छोटे और सीमांत किसान अत्यधिक लाभान्वित हो रहे हैं।

लक्ष्य और उपलब्धियां

वित्तीय वर्ष 2024-25 में सौर सुजला योजना के सातवें चरण में धमतरी जिले को 400 सोलर पंपों का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। इसके विरुद्ध अब तक 252 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनकी स्वीकृति और स्थापना प्रक्रिया क्रेडा द्वारा की जा रही है। वहीं वर्ष 2025-26 के फेस-09 अंतर्गत जिले को 205 सोलर पंप का लक्ष्य मिला है, जिनमें से 165 पंप स्थापित किए जा चुके हैं और शेष पर तेजी से कार्य चल रहा है।

आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन

इस योजना ने जिले की कृषि व्यवस्था को एक नई दिशा दी है। किसान अब खरीफ और रबी दोनों मौसम में खेती कर रहे हैं। उत्पादन बढ़ने से उनकी आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अतिरिक्त पैदावार से न केवल किसानों की आय दोगुनी हुई है, बल्कि गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।खेतों में मजदूरों, परिवहन और कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियों में रोजगार मिलने से बेरोजगारी की समस्या भी घट रही है।

पर्यावरण और सतत विकास की ओर कदम

सौर ऊर्जा आधारित पंप पर्यावरण की दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी हैं। जहां डीजल और बिजली से चलने वाले पंप प्रदूषण और खर्च दोनों बढ़ाते थे, वहीं सौर पंप प्रदूषणमुक्त, किफायती और दीर्घकालीन समाधान प्रदान कर रहे हैं। यह योजना सतत विकास और हरित क्रांति की दिशा में एक मजबूत कदम है।

छत्तीसगढ़ के रजत जयंती महोत्सव के अवसर पर यह कहना उचित होगा कि सौर सुजला योजना केवल सिंचाई का साधन नहीं है, बल्कि किसानों के लिए ऊर्जा, आत्मविश्वास और समृद्धि का प्रतीक बन चुकी है। किसानों की ज़ुबानी उनके अनुभव इस बात का प्रमाण हैं कि सूरज की रौशनी अब खेतों के साथ-साथ उनके जीवन को भी रोशन कर रही है।

यह योजना न सिर्फ कृषि उत्पादन को नई ऊंचाई दे रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान कर रही है। आने वाले समय में इसके विस्तार से प्रदेश का कृषि क्षेत्र नई उड़ान भरेगा और किसान समृद्धि की राह पर और तेजी से आगे बढ़ेंगे।

चक्रधर समारोह 2025 : आठवें दिन कथक की प्रस्तुतियों ने बाधा समां

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रायपुर, चक्रधर समारोह का आठवां दिन कथक नृत्य की प्रस्तुतियों से सराबोर रहा। रायगढ़ में आयोजित इस समारोह में आठवें दिन मंच पर सात वर्षीय कथक नृत्यांगना अंशिका सिंघल के साथ दुर्ग, बेंगलुरू, रायगढ़ घराने, जबलपुर के कथक कलाकरों ने अनुपम प्रस्तुतियां दी 

आशिका सिंघल 

सात वर्षीय आशिका सिंघल की कथक प्रस्तुति ने मोहा मन

चक्रधर समारोह  के आठवें दिन का शुभारंभ नन्हीं बाल कलाकार आशिका सिंघल की कथक नृत्य प्रस्तुति से हुआ। केवल 7 वर्ष की आयु में ही आशिका ने अपनी सधी हुई ताल और भावपूर्ण अभिनय से उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया। आशिका ने मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो जैसे भक्ति गीत पर कथक नृत्य प्रस्तुत कर मंच की गरिमा बढ़ाई। उनकी लय, ताल और भावाभिव्यक्ति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रायपुर की बाल कलाकार आशिका सिंघल विगत चार वर्षों से कथक की साधना कर रही हैं। उन्होंने विद्यालय एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर कई उपलब्धियां हासिल की हैं।

दुर्ग की देविका दीक्षित ने कथक में परंपरा और नवाचार का अनूठा संगम प्रस्तुत किया

दुर्ग की कथक नृत्यांगना देविका दीक्षित ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। लगभग चौबीस वर्षों से कथक साधना में रमीं देविका ने परंपरा और नवीनता का ऐसा संगम प्रस्तुत किया, जिसमें भाव, लय और ताल की उत्कृष्टता स्पष्ट झलकी। उनकी प्रस्तुति में कथक की गहराई के साथ आधुनिक दृष्टि का समावेश दिखाई दिया। दर्शकों ने इस प्रतिभाशाली कलाकार के समर्पण और साधना से सजी प्रस्तुति को तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ सराहा।

देविका दीक्षित ने पाँच वर्ष की उम्र से ही नृत्य यात्रा की शुरुआत की और गुरु श्रीमती उपासना तिवारी एवं आचार्य पंडित कृष्ण मोहन मिश्र से प्रशिक्षण प्राप्त किया। कथक में ‘कोविद‘ और ‘विशारद‘ उपाधियाँ अर्जित करने के साथ उन्हें नेशनल नृत्य शिरोमणि पुरस्कार, श्रेष्ठ भारत सम्मान और गोपीकृष्ण नेशनल अवॉर्ड सहित कई राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। दिल्ली के कामानी ऑडिटोरियम से लेकर बनारस लिट फेस्ट तक उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन कर सराहना प्राप्त की है। नृत्य के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी देविका ने अपनी अलग पहचान बनाई है। लंदन यूनिवर्सिटी कॉलेज से अर्बन डिजाइन में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद वे वर्तमान में आईआईएम, रायपुर से एमबीए की पढ़ाई कर रही हैं।

बेंगलुरु के डॉ.लक्ष्मीनारायण जेना और उनकी टीम की कथक प्रस्तुति ने रचा अद्भुत समा

बेंगलुरू के प्रख्यात कथक कलाकार डॉ. लक्ष्मीनारायण जेना और उनकी टीम ने कथक की ऐसी अनुपम प्रस्तुति दी कि दर्शक भावविभोर होकर तालियों की गडग़ड़ाहट से सभागार गूंजाते रहे। डॉ. जेना ने लखनऊ-जयपुर घराने की बारीकियों को अपने नृत्य में समाहित कर भारतीय परंपरा और संस्कृति का अद्भुत चित्रण प्रस्तुत किया। उनकी भाव-भंगिमाएं, पदचालन और ताल की सटीकता ने कथक की शास्त्रीयता को मंच पर जीवंत कर दिया। प्रस्तुति में उनके साथ श्री मैसुर बी.नागराज, श्री अजय कुमार सिंह, श्री रघुपति झा और श्री विजय ने संगत कर समां और भी भव्य बना दिया। भाव, राग और ताल के इस अनूठे संगम ने समारोह में उपस्थित कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

रायगढ़ घराने की कथक परंपरा को वासंती वैष्णव ने किया जीवंत 

रायगढ़ घराने की विशिष्ट छाप छोड़ते हुए बिलासपुर की सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना श्रीमती वासंती वैष्णव, सुश्री ज्योतिश्री और उनकी टीम ने शास्त्रीय नृत्य की ऐसी मोहक प्रस्तुति दी, जिसने उपस्थित दर्शकों को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश स्तुति से हुई, जिसके पश्चात तबले की उठान, शिव तांडव, तबला और घुंघरुओं की जुगलबंदी तथा वर्षा ऋतु की अद्भुत झलकियों को नृत्य में पिरोया गया। सुर, ताल और भाव की इस अनूठी संगति ने सभागार में ऐसा वातावरण निर्मित किया कि दर्शक मंत्रमुग्ध होकर तालियों की गडग़ड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन करते रहे।

ज्ञात हो कि रायगढ़ घराने की स्थापना राजा चक्रधर सिंह द्वारा की गई थी। कला-संरक्षक के रूप में उनकी दूरदृष्टि और नृत्य-प्रेम के कारण विभिन्न घरानों के महान गुरुओं व कलाकारों ने रायगढ़ को अपना केंद्र बनाया। यहीं से मेघ पुष्प, चमक बिजली, ब्रह्म बीज और दाल-बादल परन जैसी अनुपम नृत्य बंदिशों की रचना हुई, जो आज भी रायगढ़ घराने की पहचान बनी हुई हैं। इस घराने की एक विशेषता यह भी है कि इसके कलाकार या तो अत्यंत धीमी या फिर अत्यंत तेज गति में अपनी प्रस्तुति देते हैं, जो कथक की गहराई और विविधता को दर्शाता है। श्रीमती वासंती वैष्णव ने रायगढ़ घराने की शिक्षा अपने पिता व सुप्रसिद्ध कलागुरु श्री फिरतूराम महाराज से प्राप्त की है। कठोर साधना और संगतिक अनुशासन के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें देश की प्रतिष्ठित कथक नृत्यांगनाओं की श्रेणी में स्थापित किया है। वे देश के प्रमुख कला मंचों पर अपनी अद्वितीय प्रस्तुतियों से रायगढ़ घराने की परंपरा को निरंतर आगे बढ़ा रही हैं।

जबलपुर की कथक गुरु नीलांगी कालांतरे ने बिखेरी कला की छटा

कथक की प्रख्यात गुरु नीलांगी कालांतरे ने अपनी विलक्षण प्रस्तुति से ऐसा समां बाँधा कि पूरा कार्यक्रम स्थल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूँज उठा। उनकी साधना, भाव-भंगिमा और मनमोहक नृत्य मुद्राओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

गुरु नीलांगी कालांतरे ने सात वर्ष की आयु से कथक की शिक्षा आरंभ की। उन्हें यह ज्ञान गुरु शरदिनी गोले जी और पंडित रोहिणी भाटे जैसे विख्यात गुरुओं से प्राप्त हुआ। लगभग तीन दशकों से अधिक समय से वे कथक की परंपरा को साधते हुए इसे नई ऊँचाइयों पर पहुँचा रही हैं। मंच पर उनकी उपस्थिति मात्र ने ही वातावरण को आध्यात्मिक और कलात्मक ऊर्जा से भर दिया। उन्होंने पारंपरिक कथक की बारीकियों के साथ आधुनिक प्रयोगों का ऐसा सुंदर समन्वय प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को शास्त्रीय नृत्य की गहराई से अवगत कराया। भक्ति और लयात्मकता से ओतप्रोत उनकी प्रस्तुतियों ने यह संदेश दिया कि कला साधना केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है।


प्रधानमंत्री आवास योजना को गति देने अभिनव पहल, ग्रामीण युवाओं को मिला राजमिस्त्री का निःशुल्क प्रशिक्षण

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रायपुर,  प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण रूप से क्रियान्वित करने के लिए बलरामपुर जिला प्रशासन ने अभिनव पहल की है। कलेक्टर बलरामपुर-रामानुजगंज के मार्गदर्शन में जिले के ग्रामीण युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार एवं निर्माण कार्यों में दक्ष बनाने की योजना लागू की गई है।

ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) के माध्यम से जिले के वाड्रफनगर, रामचंद्रपुर, बलरामपुर, राजपुर एवं शंकरगढ़ जनपद पंचायतों में कुल 5 प्रशिक्षण बैच (प्रत्येक में 35 प्रशिक्षार्थी) प्रारंभ किए गए हैं। इस तरह 175 युवाओं को 30 दिवसीय निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण का लाभ दिलाया गया। जिसमें ले-आउट, नींव से छत तक निर्माण की तकनीकी ज्ञान, निर्माण सामग्री का अनुपात एवं गुणवत्ता निर्धारण, सुरक्षा मानक तथा फील्ड प्रैक्टिकल शामिल है।

इस पहल से न केवल प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत स्वीकृत घरों का निर्माण तेज़ी और गुणवत्ता के साथ तेजी से पूरा पूरा कराया जा रहा है। ग्रामीण युवाओं को राजमिस्त्री का प्रशिक्षण की व्यवस्था कर स्वरोजगार के अवसर भी सृजित किए जा रहे हैं। इससे स्थानीय स्तर पर दक्ष श्रमिकों की उपलब्धता बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं या उनके परिजन, मनरेगा में 100 दिवस कार्य कर चुके श्रमिक और इच्छुक ग्रामीण युवाओं को शामिल किया गया। जिला पंचायत सीईओ बलरामपुर ने बताया कि, हमारा लक्ष्य है कि सभी प्रधानमंत्री आवास समय-सीमा में और गुणवत्ता के साथ पूरे हों। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को अपने गांव में ही रोजगार दिलाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम है।

जिला प्रशासन ने अधिक से अधिक युवाओं से अपील की है कि वे इस प्रशिक्षण का लाभ उठाकर न केवल एक नया कौशल सीखें, बल्कि जिले के विकास में भी योगदान दें। इच्छुक उम्मीदवार अपने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत अथवा सीधे ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण संस्थान बलरामपुर से संपर्क कर सकते हैं।


चक्रधर समारोह 2025: सुर-ताल और घुंघरू की सतरंगी छटा, मल्लखंभ दल आकर्षण का केंद्र

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 रायपुर : अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह 2025 का आठवां दिन विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और लोक-शास्त्रीय कलाओं की अनूठी छटा से सराबोर रहा। रामलीला मैदान में आयोजित सुर, ताल, छंद और घुंघरू के आठवें दिन कलाकारों की सजीव प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया और समारोह की गरिमा को नई ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया।


कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार रामदास अठावले ने भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना, राजा चक्रधर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि राजा चक्रधर सिंह केवल रायगढ़ के नहीं, बल्कि पूरे देश के गौरव हैं। वे एक महान शासक, समाजसेवी और संगीत साधक थे।

गरीबों, किसानों, मजदूरों और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उन्होंने कार्य किया और कथक को नया आयाम देकर ‘रायगढ़ घराने‘ की स्थापना की। आज उनका यह सांगीतिक धरोहर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सम्मान पा रहा है। इस मौके पर राज्यसभा सांसद  देवेंद्र प्रताप सिंह, नगर निगम रायगढ़ महापौर जीवर्धन चौहान सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

चक्रधर समारोह में आठवें दिन का मुख्य आकर्षण अबूझमाड़ का प्रसिद्ध मल्लखंभ दल रहा। उनकी रोमांचक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को उत्साहित कर तालियों से सभागार गूंजा दिया। इस अवसर पर रायपुर की आशिका सिंघल, संगीता कापसे संगीत कला अकादमी रायपुर, दुर्ग की देविका दीक्षित, बिलासपुर की वासंती वैष्णव एवं टीम, जबलपुर की श्रीमती निलांगी कालान्तरे और बेंगलुरु के डॉ.लक्ष्मी नारायण जेना ने कथक की विभिन्न शैलियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। रायपुर की श्रीमती अजीत कुमारी कुजूर ने भरतनाट्यम और मुंबई के श्री अर्नव चटर्जी ने मधुर गायन से समा बांध दिया। चक्रधर समारोह के अवसर पर पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में विशेष काव्य संध्या का आयोजन हुआ। कवियों की प्रस्तुतियों में हास्य, वीर रस और व्यंग्य का सुंदर संगम देखने को मिला। दर्शक देर तक तालियों से कवियों का उत्साहवर्धन करते रहे।

अबूझमाड़ के विश्व प्रसिद्ध मल्लखंब दल ने दिखाया ताकत, संतुलन और लचीलेपन का अद्भुत संगम

चक्रधर समारोह में उस समय अविस्मरणीय बन गई, जब अबूझमाड़ से आए  मनोज प्रसाद के नेतृत्व में मल्लखंब दल ने मंच पर प्रवेश किया। परंपरा, अनुशासन और अद्भुत संतुलन के साथ खिलाडिय़ों ने ऐसा प्रदर्शन किया कि पूरा कार्यक्रम स्थल रोमांचित हो उठा। बस्तर और नारायणपुर के छोटे-छोटे गांवों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचे इंडियाज गॉट टैलेंट सीजन-10 के विजेता नरेंद्र गोटा और फुलसिंह सलाम ने अपने साथियों संग अद्भुत मल्लखंब कला की प्रस्तुति दी।

मंच पर कलाकारों ने खंभे पर कौशल, कला व जिम्नास्टिक की अद्भुत मुद्राओं का प्रदर्शन किया, जिसने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इस प्रस्तुति ने साबित कर दिया कि सुदूर वनांचल की प्रतिभाएं अब विश्व मंच तक अपनी पहचान दर्ज करा रही हैं। समारोह में उपस्थित हजारों दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से इन कलाकारों की सराहना की और उन्हें छत्तीसगढ़ का गौरव बताया। यह वही दल है जिसने 2023 में इंडियाज गॉट टैलेंट सीजन 10 जीतकर पूरे देश का दिल जीता था। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी इन कलाकारों ने भारत का परचम लहराया है।

इन कलाकारों की सफलता के पीछे है अबूझमाड़ मल्लखंब अकादमी, जो 2018 से आदिवासी अंचलों के बच्चों को प्रशिक्षण देकर उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रही है। अब तक इस अकादमी के 500 से अधिक राष्ट्रीय पदक विजेता तैयार हो चुके हैं और 50 से अधिक बच्चे यहाँ रहकर शिक्षा एवं मल्लखंब की विधिवत ट्रेनिंग ले रहे हैं। इनके प्रशिक्षक मनोज प्रसाद ने अपनी मेहनत, समर्पण और जुनून से इन बच्चों को विश्वस्तरीय मंच दिलाया है।

भारत का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम-3201’ लॉन्च, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

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नई दिल्ली। तकनीक की दुनिया में भारत ने एक नया इतिहास रच दिया है। देश का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम-3201’ लॉन्च हो गया है। इसे IIT मद्रास और IIT बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है।


यह उपलब्धि न सिर्फ तकनीकी सफलता है, बल्कि भारत को माइक्रोप्रोसेसर के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता से आज़ादी भी दिलाएगी।

माइक्रोप्रोसेसर क्या है और क्यों जरूरी है?

  • माइक्रोप्रोसेसर किसी भी मशीन का “दिमाग़” होता है।

  • यह कंप्यूटर, मोबाइल, रक्षा उपकरण, स्मार्ट डिवाइस और ऑटोमोबाइल को कंट्रोल करता है।

  • लाखों ट्रांजिस्टरों से बना यह चिप हार्डवेयर को निर्देश देता है कि क्या करना है और कैसे करना है

  • हर आधुनिक टेक्नोलॉजी की रीढ़ यही प्रोसेसर है।

कैसे और किसने बनाया ‘विक्रम-3201’?

इसे दो मुख्य हिस्सों में विकसित किया गया है:

  1. शक्ति प्रोसेसर (IIT मद्रास)

    • लो-पावर डिवाइसेज़, इंडस्ट्रियल कंट्रोलर और सर्वर के लिए

    • ओपन-सोर्स RISC-V आर्किटेक्चर पर आधारित

  2. मूसिक प्रोसेसर (IIT बॉम्बे)

    • हाई-परफॉर्मेंस मल्टी-कोर प्रोसेसर

    • AI और मशीन लर्निंग जैसे एडवांस टास्क के लिए

कहां-कहां होगा इस्तेमाल?

  • रक्षा: मिसाइल, रडार, ड्रोन और संचार सिस्टम

  • ऑटोमोबाइल: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और स्मार्ट कार

  • मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, टीवी, वॉच, IoT डिवाइस

  • सुपर कंप्यूटिंग: डेटा सेंटर, AI, 5G और 6G एप्लिकेशन

  • शिक्षा और स्टार्टअप्स: रिसर्च और हार्डवेयर इनोवेशन

काम करने का तरीका

  1. इनपुट लेता है (डेटा या कमांड)

  2. ट्रांजिस्टरों के ज़रिए प्रोसेसिंग करता है

  3. आउटपुट के रूप में रिज़ल्ट देता है

शक्ति और मूसिक दोनों में हाई-स्पीड कंप्यूटिंग, लो-पावर खपत और एडवांस सिक्योरिटी फीचर्स मौजूद हैं।

अब तक भारत कहाँ से खरीदता था चिप्स?

भारत अब तक अमेरिका, ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया से प्रोसेसर इंपोर्ट करता था:

  • अमेरिका: Intel, AMD, Qualcomm

  • ताइवान: TSMC (Apple जैसी कंपनियों को सप्लाई)

  • दक्षिण कोरिया: Samsung

  • जापान: माइक्रोकंट्रोलर और इलेक्ट्रॉनिक सामग्री

भारत सरकार की बड़ी योजनाएँ

  • सेमीकंडक्टर मिशन: ₹76,000 करोड़ का पैकेज

  • PLI स्कीम: मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया से जुड़ी योजना

  • फैब यूनिट निवेश: वेदांता-फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर

  • Design-Link: स्टार्टअप्स और कॉलेजों को सपोर्ट

  • इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019: 2025 तक $400 बिलियन का लक्ष्य

 यह प्रोसेसर भारत को आत्मनिर्भर टेक्नोलॉजी पॉवर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

बाढ़ पीड़ितों को राशन-ईलाज के साथ अब जरूरी दस्तावेज बनाने का काम भी शुरू, मुख्यमंत्री के निर्देश पर त्वरित अमल

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रायपुर, बस्तर संभाग में पिछले सप्ताह हुई अतिवृष्टि ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था। अपने विदेश दौरे से लौट कर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने दंतेवाड़ा पहुंचकर संभागीय बैठक में जिला कलेक्टरों को राहत और बचाव कार्यो में तेजी लाने के सख्त निर्देश दिये थे। अब मुख्यमंत्री के इस निर्देश पर तेजी अमल किया जा रहा है।  बाढ़ पीड़ित नागरिकों को जहां एक ओर राशन, ईलाज और दवाईयां के साथ-साथ गैस चुल्हे और सिंलेण्डर दिये गये हैं वहीं राहत शिविरों में उनके दैनिक जीवन की उपयोगी सभी व्यवस्थाएं भी की गई है। अब बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही नुकसान का वास्तविक आंकलन और अन्य जरूरी सहायता तथा मुआवजा देने की कार्यवाही पर भी तेजी से अमल किया जा रहा है। बाढ़ के पानी में खराब या नष्ट हो गये जरूरी दस्तावेजों को बनाने का काम भी राजस्व विभाग ने शुरू कर दिया हैं। बाढ़ की इस भीषण आपदा में छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय नेतृत्व में एक संवेदनशील पहल कर त्वरित राहत कार्य और सहायता-मुआवजे की प्रक्रिया शुरू कर पीड़ित परिवारों को एक बड़ी राहत दी है।

बाढ़ से प्रभावित गाँवों में राहत दल तेजी से काम कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रभावित गांवों में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बस्तर जिले के लोहन्डीगुड़ा तहसील के मांदर गांव के प्रभावित किसानों को किसान किताब वितरित की जा रही है, जो बाढ़ के कारण बह गई थी। किसान किताब के मिलने से किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और भविष्य में किसी भी सहायता के लिए पात्र बनने में मदद करेगी। वहीं प्रभावितों को नवीन राशन कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड एवं बैंक पासबुक तैयार कर प्रदान किया जा रहा है। इसके साथ ही जिला प्रशासन की टीमें नुकसान का आकलन करने के लिए घर-घर सर्वे कर रही हैं और पात्रता के अनुसार तत्काल राहत राशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर कर भुगतान कर रही हैं।

सरकार का ध्यान इस बात पर है कि किसी भी पीड़ित परिवार को उनकी जरूरत के समय अकेला न छोड़ा जाए। इसके लिए, मकान क्षति सहित पशु, फसल और घरेलू सामग्री की क्षति का विस्तृत ब्यौरा तैयार कर, हर एक प्रकरण पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है, ताकि जरूरतमंद प्रभावितों तक मुआवजा राशि सीधे और समय पर पहुँच सके।

स्थानीय प्रभावित परिवारों ने सरकार की इस पहल की सराहना की है। एक प्रभावित ग्रामीण श्री मुरहा पटेल ने कहा कि हमने सोचा था कि बाढ़ के बाद सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन सरकार की इस त्वरित मदद ने हमें फिर से जीवन को नये सिरे से शुरू करने की उम्मीद दी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देशानुसार जिला आधिकारियों की इस पहल को प्रशासन की ओर से एक मजबूत और मानवीय दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है। जो यह दर्शाता है कि आपदा की घड़ी में सरकार न सिर्फ राहत कार्य बल्कि पुनर्वास और भविष्य की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है। इस तरह के प्रयास बाढ़ पीड़ितों को आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से सहारा देते हैं, जिससे उन्हें जीवन को सामान्य पटरी पर लाने में मदद मिलती है।

लोकसभा अध्यक्ष ने त्वरित न्याय के माध्यम से मानव सम्मान सुनिश्चित करने के लिए संवाद का आह्वान किया

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लोकसभा अध्यक्ष ने आज त्वरित न्याय के माध्यम से मानवीय गरिमा की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच संवाद की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कानूनी और प्रशासनिक प्रणालियों में अनेक बाधाएँ न्याय में देरी का कारण बनती हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने नागरिकों और विचारकों से सभी के लिए शीघ्र और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करने के महत्वपूर्ण प्रश्न पर विचार करने का आह्वान किया।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान निर्माताओं ने संविधान में मानवता, समानता, न्याय, सामाजिक-आर्थिक अधिकारों और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को गहराई से समाहित किया। संवैधानिक अनुच्छेदों और संविधान सभा की बहसों, दोनों में मानवीय गरिमा पर विशेष बल दिया गया।

 बिरला ने ये टिप्पणियाँ आज नई दिल्ली में आयोजित 11वें डॉ. एल. एम. सिंघवी स्मृति व्याख्यान के दौरान कीं, जिसका विषय था "मानव गरिमा संविधान की आत्मा: 21वीं सदी में न्यायिक चिंतन"।

बिरला ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच आपसी सहयोग के महत्व पर बल दिया ताकि वे अपनी कार्यप्रणाली को बेहतर बना सकें और सभी के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने उन विद्वानों की प्रशंसा की जिन्होंने भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को मज़बूत बनाने में अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया है। वर्तमान में चल रहे सुधारों पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप अपने कानूनी ढाँचे को निरंतर विकसित कर रहा है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय गरिमा और न्याय की रक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं और इनके लिए व्यापक सुधारों और समाधानों की आवश्यकता है।

पूर्व सांसद, विधिवेत्ता, राजनयिक और विद्वान डॉ. एल.एम. सिंघवी के जीवन और विरासत का जिक्र करते हुए, बिरला ने उनकी यात्रा को प्रेरणादायक बताया। डॉ. सिंघवी ने एक संवैधानिक विशेषज्ञ, विधिवेत्ता, लेखक और कवि के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया और एक ऐसी विरासत छोड़ी जो आज भी प्रेरणादायी है।बिरला ने न केवल भारत पर, बल्कि दुनिया भर के संविधान निर्माण में डॉ. सिंघवी के गहन प्रभाव को याद किया। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र, संस्कृति, ज्ञान, व्यापार और विदेशों में भारतीयों के सम्मान को बढ़ावा देने में डॉ. सिंघवी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। बिरला ने कहा कि डॉ. सिंघवी का बहुमुखी व्यक्तित्व सभी भारतीयों को नवाचार करने, रचनात्मक रूप से सोचने और राष्ट्र के लिए सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।


संस्कृति एवं परंपरा को जीवंत बनाए रखना न केवल हमारी जिम्मेदारी बल्कि नैतिक कर्तव्य भी- मुख्यमंत्री साय

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 रायपुर :  मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय विगत दिवस मुख्यमंत्री निवास, नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ आदिवासी कंवर समाज युवा प्रभाग रायपुर द्वारा आयोजित प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत – 2025 करमा तिहार कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक विधान से पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की।


मुख्यमंत्री  साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर है। इस संस्कृति एवं परंपरा को जीवंत बनाए रखना न केवल हमारी जिम्मेदारी, बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है। ऐसे पर्व और परंपराएँ समाज को एकजुट होने का अवसर देती हैं, जिससे स्नेह, सद्भाव एवं सौहार्द की भावना विकसित होती है।


मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि कंवर समाज के युवाओं द्वारा राजधानी रायपुर में करमा तिहार का आयोजन किया जा रहा है। हमारी आदिवासी संस्कृति में अनेक प्रकार के करमा तिहार मनाए जाते हैं। आज एकादशी का करमा तिहार है, जो हमारी कुंवारी बेटियों का पर्व है। इस करमा तिहार का उद्देश्य है कि हमारी बेटियों को उत्तम वर और उत्तम गृहस्थ जीवन मिले। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर बेटियाँ अच्छे वर और अच्छे घर की कामना करती हैं। इसके बाद दशहरा करमा का पर्व आता है, जिसमें विवाह के पश्चात पहली बार जब बेटी मायके आती है, तो वह उपवास रखकर विजयादशमी का पर्व मनाती है। इसी प्रकार जियुत पुत्रिका करमा मनाया जाता है, जिसमें माताएँ पुत्र-पुत्रियों के दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं। यह एक कठिन व्रत होता है, जिसमें माताएँ चौबीस घंटे तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास करती हैं।

मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यदि छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां अंग्रेजों के विरुद्ध 12 आदिवासी क्रांतियाँ हुईं। हमारी सरकार नया रायपुर स्थित ट्राइबल म्यूजियम में आदिवासी संस्कृति के महानायकों की छवि को आमजन की जागरूकता के लिए प्रदर्शित करने मॉडल के रूप में उकेरा जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित रजत जयंती समारोह में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को आमंत्रित किया जा रहा है। उनके करकमलों से इस म्यूजियम का शुभारंभ किया जाएगा।

मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि हमारी सरकार आदिवासी समाज के सशक्तिकरण पर विशेष जोर देती रही है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आजादी के लगभग 40 वर्षों बाद आदिवासी विभाग का पृथक मंत्रालय बनाकर आदिवासी समाज के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हीं के बताए मार्ग पर वर्तमान प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी आदिवासी समाज के बेहतरी एवं समग्र विकास के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान एवं विशेष पिछड़ी जनजाति समाज के लिए पीएम जनमन योजना का संचालन कर रहे हैं, जिससे हितग्राहियों को शत-प्रतिशत योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह ने बस्तर, सरगुजा एवं मध्य क्षेत्र प्राधिकरण का गठन कर विकास को गति प्रदान करने का कार्य किया।

मुख्यमंत्री साय ने आगे कहा कि युवा आदिवासियों को स्वरोजगार से जोड़ते हुए आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से हमने नई उद्योग नीति बनाई है, जिसमें बस्तर एवं सरगुजा क्षेत्रों के लिए विशेष रियायतें दी गई हैं। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आदिवासी बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कोई कठिनाई न हो। इसके लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना राज्य में ही की जा रही है।

वन मंत्री  केदार कश्यप ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी आदिवासी संस्कृति अत्यंत समृद्ध और गौरवशाली परंपरा रही है। इसी परंपरा के निर्वहन में आज हम करमा तिहार मना रहे हैं। हमारी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। साय जी के नेतृत्व में ही बस्तर संभाग में बस्तर पांडुम के नाम से ओलंपिक का आयोजन किया गया, जिसकी चर्चा पूरे भारत में हुई। श्री कश्यप ने इस अवसर पर समस्त छत्तीसगढ़वासियों को प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत करमा तिहार की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।

संरक्षक, अखिल भारतीय कंवर समाज विकास समिति पमशाला, जशपुर, कौशिल्या साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज और प्रकृति एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं। आदिवासी समाज के लिए प्रकृति सदैव आराध्य रही है। करमा पर्व प्रकृति प्रेम का पर्व है। हमारी संस्कृति अत्यंत गौरवशाली रही है और उसका संरक्षण तथा समय के साथ संवर्धन आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि समाज की महिलाएँ आगे आकर इस संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने सभी को प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत करमा तिहार की बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार मंत्री गुरु खुशवंत साहेब, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल, रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक  राम कुमार टोप्पो, विधायक आशाराम नेताम, विधायक  प्रबोध मिंज, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम  राम सेवक सिंह पैकरा, केशकला बोर्ड की अध्यक्ष मोना सेन, सभापति जिला पंचायत धमतरीटीकाराम कंवर, प्रदेश अध्यक्ष कंवर समाज  हरवंश सिंह मिरी, अध्यक्ष कंवर समाज रायपुर महानगर  मनोहर सिंह पैकरा सहित कंवर समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

मेहनत, धैर्य और कौशल से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है-विजेता

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रायपुर। विजेता कोरी ने आज अपने नाम के अनुरूप विजेता बनकर अपने नाम को सार्थक बना दिया है और यह सिद्ध कर दिया है कि मेहनत, धैर्य और कौशल से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। वे अब न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। ग्राम रमतला की विजेता रामसनेही उर्फ अन्नू कोरी आज ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। 

साधारण परिवार से आने वाली अन्नु ने मेहनत और लगन से न केवल अपनी आजीविका को सशक्त बनाया बल्कि पूरे क्षेत्र में रेशम उत्पादन के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने एक माह में 12 हजार कोसा बीज का उत्पादन किया। केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा विजेता को उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया।

बिलासपुर जिला के बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रमतला निवासी विजेता कोरी उर्फ अनु पिछले 10 वर्षों से रमतला रेशम अनुसंधान एवं विकास केंद्र से जुड़ी हुई हैं। प्रारंभ में उन्हें इस कार्य की जानकारी नहीं थी, लेकिन केंद्र से मिले प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन ने उनके भीतर आत्मविश्वास जगाया। उन्होंने धीरे-धीरे रेशम और कोसा बीज उत्पादन की बारीकियों को सीखी। विजेता ने बताया कि रेशम उत्पादन की प्रक्रिया बेहद कठिन है और कड़ा परिश्रम करनी पड़ती है, फिर भी मैंने हार नहीं मानी। दिन-रात मेहनत कर कोसा बीज उत्पादन किया और अकेले ही 12 हजार से अधिक बीज का निर्माण किया।

हाल ही में केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा कोरबा जिले के पाली विकासखंड के ग्राम डोंगानाला में आयोजित कार्यक्रम मेरा रेशम, मेरा अभिमान में केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने मात्र एक माह में 12 हजार नग कोसा बीज तैयार कर रिकॉर्ड बनाया। इस कार्य से उन्होंने 40 हजार रुपये की आमदनी अर्जित की, विजेता ने अकेले यह उपलब्धि हासिल की। यह उपलब्धि उनकी मेहनत, कौशल और आत्मविश्वास का परिणाम है। विजेता कोरी को केंद्रीय रेशम बोर्ड रांची के निदेशक डॉ. एन.बी. चौधरी, बिलासपुर के डॉ. नरेंद्र कुमार भाटिया और श्री सी एस लोन्हारे के हाथों सम्मानित किया गया। यह पहला अवसर था जब उनके कार्य के लिए ऐसा बड़ा सम्मान मिला। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके लिए अविस्मरणीय है। उन्होंने बताया कि कोसा और रेशम बीज निर्माण की प्रक्रिया में एक माह का समय लगता है और मौसम के अनुकूल वर्ष भर में तीन से चार बार उत्पादन की प्रक्रिया की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि कोसा बीज उत्पादन कार्य के साथ साथ वह केंद्र में समय समय पर दैनिक मजदूरी का काम कर भी आजीविका कमाती हैं। विजेता अपनी मेहनत से मिली आमदनी से अपने परिवार को आर्थिक संबल दिया है। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और परवरिश दे रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्का घर मिला। महतारी वंदन योजना से हर माह 1000 रुपए और श्रम विभाग की बीमा योजना सहित कई अन्य योजनाओं, बच्चों को छात्रवृत्ति योजना का भी लाभ मिल रहा है। बिहान के तहत गंगा जमुना स्व-सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने मछली पालन का कार्य भी शुरू किया, जिससे उनकी आय के स्रोत बढ़ गए।

विजेता कहती हैं – सरकार की मदद से मैंने अपने जीवन को बेहतर बनाया है। आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ और अपने परिवार को एक सुरक्षित भविष्य दे पा रही हूँ। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की आभारी हूँ। विजेता ने बताया कि केंद्रीय रेशम बोर्ड के अधिकारियों से उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन मिलता रहा, जिससे वह अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाई जिसका बेहतर परिणाम उन्हें मिला।


मेहनत, धैर्य और कौशल से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है- विजेता कोरी

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रायपुर, विजेता कोरी ने आज अपने नाम के अनुरूप विजेता बनकर अपने नाम को सार्थक बना दिया है और यह सिद्ध कर दिया है कि मेहनत, धैर्य और कौशल से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। वे अब न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। ग्राम रमतला की विजेता रामसनेही  उर्फ अन्नू कोरी आज ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। साधारण परिवार से आने वाली अन्नु ने मेहनत और लगन से न केवल अपनी आजीविका को सशक्त बनाया बल्कि पूरे क्षेत्र में रेशम उत्पादन के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने एक माह में 12 हजार कोसा बीज का उत्पादन किया। केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा विजेता को उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया।

बिलासपुर जिला के बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रमतला निवासी विजेता कोरी उर्फ अनु पिछले 10 वर्षों से रमतला रेशम अनुसंधान एवं विकास केंद्र से जुड़ी हुई हैं। प्रारंभ में उन्हें इस कार्य की जानकारी नहीं थी, लेकिन केंद्र से मिले प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन ने उनके भीतर आत्मविश्वास जगाया। उन्होंने धीरे-धीरे रेशम और कोसा बीज उत्पादन की बारीकियों को सीखी। विजेता ने बताया कि रेशम उत्पादन की प्रक्रिया बेहद कठिन है और कड़ा परिश्रम करनी पड़ती है, फिर भी मैंने हार नहीं मानी। दिन-रात मेहनत कर  कोसा बीज उत्पादन किया और अकेले ही 12 हजार से अधिक बीज का निर्माण किया। 

हाल ही में केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा कोरबा जिले के पाली विकासखंड के ग्राम डोंगानाला में आयोजित कार्यक्रम मेरा रेशम, मेरा अभिमान में केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने मात्र एक माह में 12 हजार नग कोसा बीज तैयार कर रिकॉर्ड बनाया। इस कार्य से उन्होंने 40 हजार रुपये की आमदनी अर्जित की, विजेता ने अकेले यह उपलब्धि हासिल की। यह उपलब्धि उनकी मेहनत, कौशल और आत्मविश्वास का परिणाम है। विजेता कोरी को केंद्रीय रेशम बोर्ड रांची के निदेशक डॉ. एन.बी. चौधरी, बिलासपुर के डॉ. नरेंद्र कुमार भाटिया और श्री सी एस लोन्हारे के हाथों सम्मानित किया गया। यह पहला अवसर था जब उनके कार्य के लिए ऐसा बड़ा सम्मान मिला। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके लिए अविस्मरणीय है। उन्होंने बताया कि कोसा और रेशम बीज निर्माण की प्रक्रिया में एक माह का समय लगता है और मौसम के अनुकूल वर्ष भर में तीन से चार बार उत्पादन की प्रक्रिया की जा सकती है। 

उन्होंने बताया कि कोसा बीज उत्पादन कार्य के साथ साथ वह केंद्र में समय समय पर दैनिक मजदूरी का काम कर भी आजीविका कमाती हैं। विजेता अपनी मेहनत से मिली आमदनी से अपने परिवार को आर्थिक संबल दिया है। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और परवरिश दे रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्का घर मिला। महतारी वंदन योजना से हर माह 1000 रुपए और श्रम विभाग की बीमा योजना सहित कई अन्य योजनाओं, बच्चों को छात्रवृत्ति योजना का भी लाभ मिल रहा है। बिहान के तहत गंगा जमुना स्व-सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने मछली पालन का कार्य भी शुरू किया, जिससे उनकी आय के स्रोत बढ़ गए। 

विजेता कहती हैं - सरकार की मदद से मैंने अपने जीवन को बेहतर बनाया है। आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ और अपने परिवार को एक सुरक्षित भविष्य दे पा रही हूँ। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की आभारी हूँ। विजेता ने बताया कि केंद्रीय रेशम बोर्ड के अधिकारियों से उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन मिलता रहा, जिससे वह अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाई जिसका बेहतर परिणाम उन्हें मिला।

भिलाई में ज्वेलरी शॉप में लूट की कोशिश, रायपुर में हवा में फायरिंग कर की लूट

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 रायपुर/भिलाई। छत्तीसगढ़ में दो दिन के भीतर लूट की दो बड़ी वारदातों ने दहशत फैला दी। भिलाई में ज्वेलरी शॉप में लूट की कोशिश हुई, जबकि अगले दिन रायपुर में बदमाशों ने हवा में फायरिंग कर युवक से ₹4500 लूट लिए। दोनों मामलों में पीड़ितों की बहादुरी से अपराधी अपने मंसूबे पूरे नहीं कर पाए।


ज्वेलर्स ने दिखाई हिम्मत, भाग निकले बदमाश

  • 1 सितंबर की शाम करीब 4 बजे भिलाई-3 थाना क्षेत्र के चरोदा इलाके में दो नकाबपोश युवक ज्वेलरी शॉप में घुसे।
  • कट्टा दिखाकर सोना लूटने की कोशिश की, लेकिन दुकानदार नितेश जैन ने बहादुरी दिखाई और उनसे भिड़ गए।
  • डर के मारे आरोपी मौके से भाग निकले।
  • पूरी वारदात CCTV कैमरे में कैद हुई।
  • पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।

रायपुर: हवा में फायरिंग, युवक से ₹4500 लूटे

  • 2 सितंबर की शाम कुकुरबेड़ा इलाके में सरोना निवासी उज्जवल निषाद ATM से लौट रहा था।
  • तभी आरोपियों हरमीत सिंह और दीपक तिवारी ने कट्टा दिखाकर उसकी बाइक रोकी और हवा में फायरिंग की।
  • उज्जवल से ₹4500 लूटे गए, लेकिन उसने साहस दिखाकर लुटेरों की बाइक पकड़ ली।
  • गिरने के बाद आरोपी बाइक छोड़कर भाग निकले।
  • पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हरमीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जिसने दोनों वारदातें कबूल की हैं।
  • दूसरा आरोपी दीपक तिवारी अब भी फरार है, जिसकी तलाश जारी है।
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