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हर-हर महादेव की गूंज, अमरनाथ यात्रा के लिए भक्तों का पहला जत्था रवाना

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 Amarnath Yatra 2025 : पहलगाम आतंकी हमले के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच, वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था आज बुधवार को जम्मू से रवाना हो गया. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई. सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों की करीब 600 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है, जो यात्रा सुरक्षा के लिए अब तक की सबसे बड़ी तैनाती है.


अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना होने वाले श्रद्धालु बम बम भोले की जयकारा लगाते हुए बाबा के दर्शन को रवाना हुए हैं. TV9 भारतवर्ष से बात करते हुए श्रद्धालुओं का कहना है कि हमें बाबा ने बुलाया है. इसलिए हम यहां आए हैं. हम बिना डर और खौफ के यात्रा कर रहे हैं और बाबा से प्रार्थना करते हैं कि देश में सुख शांति बनी रहे.

लोगों में दिख रहा खासा उत्साहः LG सिन्हा
इस बीच जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भगवती नगर यात्री निवास से पहला जत्था रवाना करने के बाद अमरनाथ यात्रा को लेकर कहा, “श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ने यात्रा के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं की हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है. देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आए हुए हैं. लोगों में खासा उत्साह है. भोलेनाथ के भक्त सभी आतंकी हमलों को दरकिनार कर भारी संख्या में यहां पहुंचे हैं. मुझे उम्मीद है कि इस साल की यात्रा पिछली यात्राओं से भी बेहतर होगी.”

कश्मीर में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए 38 दिन की तीर्थयात्रा की शुरुआत कल 3 जुलाई से घाटी से 2 रास्तों से शुरू होगी. ये 2 रास्ते हैं अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम और गांदरबल जिले में छोटा (14 किलोमीटर) लेकिन अधिक खड़ी चढ़ाई वाला बालटाल रूट. इस यात्रा का समापन अगले महीने 9 अगस्त को होगा.

3.31 लाख से अधिक ने कराया रजिस्ट्रेशन
अधिकारियों का कहना है कि इस साल की यात्रा के लिए अब तक 3,31,000 से अधिक श्रद्धालु अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. साथ ही तीर्थयात्रा के लिए यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मौके पर ही रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिया गया है. पिछले 2 दिनों में करीब 4,000 टोकन बांटे गए हैं.

इससे पहले जम्मू के मंडलायुक्त रमेश कुमार ने कल मंगलवार को कहा था, “यात्रा का पहला जत्था कल भगवती नगर स्थित जम्मू बेस कैंप से कश्मीर के लिए रवाना होगा. इसे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा हरी झंडी दिखाएंगे.”

यात्रा की तैयारी को लेकर अधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं को यातायात पाबंदियों, भारी सुरक्षा व्यवस्था और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के बीच पहलगाम और बालटाल बेस कैंप तक पहुंचाया जाएगा. इस दौरान 2 जुलाई से 9 अगस्त तक अलग-अलग रूटों पर यातायात पाबंदियां लगायी जाएंगी. साथ ही लोगों को यात्रा को लेकर सलाह भी दी जाएगी.

जम्मू में भगवती नगर यात्री निवास देशभर से आए श्रद्धालुओं के लिए प्राइमरी बेस कैंप के रूप में काम करता है, इससे पहले कि वे दक्षिण कश्मीर के राजसी हिमालय में स्थित अमरनाथ के गुफा मंदिर की ओर बढ़ें. यात्रा की तैयारी को लेकर उपराज्यपाल ने एक उच्च स्तरीय बैठक में यात्रा के लिए सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा की. उपराज्यपाल श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अध्यक्ष भी हैं.

ईश्वर जीवन देता है और डॉक्टर जीवन की रक्षा करता है, इसलिए डाक्टरों को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है: मुख्यमंत्री साय

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 रायपुर : राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा राजधानी रायपुर स्थित स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ऑडिटोरियम, मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की।


इस अवसर पर कोविड-19 के दौरान सेवा देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए 14 चिकित्सकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई एवं उनके परिजनों को मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया। भावुक क्षणों से भरे इस समारोह में समूचा सभागार कृतज्ञता व सम्मान की भावना से अभिभूत रहा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने संबोधन में कहा कि  यह आयोजन न केवल चिकित्सा समुदाय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि छत्तीसगढ़ राज्य निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छूता रहेगा ।

उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि डॉक्टरों की ज़िंदगी आसान नहीं होती है। कठिन परिश्रम, लम्बी ड्यूटी और मानसिक तनाव आपके दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। फिर भी, आप अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटते। आपके इसी अदम्य साहस और समर्पण के कारण हमारा समाज सुरक्षित और स्वस्थ रहता है।

आपके परिश्रम से ही हम एक स्वस्थ, सक्षम और सशक्त छत्तीसगढ़ का निर्माण कर सकते हैं। आज मैं केवल आप सभी को धन्यवाद देने नहीं आया हूं। बल्कि, आश्वस्त भी करने आया हूं कि हमारी सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है।

इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने डॉक्टर्स डे के विशेष अवसर पर सभी चिकित्सकों को बधाई देते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि चाहे वह कोरोना महामारी का संकट रहा हो, या दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुँचाने की चुनौती। हमारे डॉक्टरों ने हर परिस्थिति में अपनी जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने खुद के जीवन की परवाह किए बिना, सेवा को धर्म मानकर कार्य किया है।

उन्होंने कहा कि हम उन महान लोगों को भी नहीं भूले हैं जिन्होंने कोरोना जैसी बड़ी महामारी के दौरान अपना फर्ज निभाते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी। हमारी सरकार का उद्देश्य केवल सेवाओं की पहुँच बढ़ाना नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ देना है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग केवल एक सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि जीवन रक्षक प्रणाली है इसी को और विस्तारित करते हुए आज हमने 109 संविदा चिकित्सकों और 563 बाण्डेड डाक्टर्स का पदस्थापना आदेश जारी किया है।


कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 109 संविदा चिकित्सकों को नियुक्ति आदेश, तथा एमबीबीएस बांड पोस्टिंग के प्रथम चरण में 563 अनुबंधित चिकित्सकों को नियुक्ति एवं पदस्थापना आदेश मुख्यमंत्री श्री साय द्वारा प्रदान किए गए। साथ ही यह बताया गया कि शीघ्र ही शेष 92 एमबीबीएस बांड अनुबंधित चिकित्सकों तथा 157 विशेषज्ञ पीजी बांड चिकित्सकों को भी पोस्टिंग आदेश जारी किए जाएंगे।

इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया ने कहा कि यह दिन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हमारे चिकित्सकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी न केवल अपने दायित्वों का निर्वहन किया, बल्कि कोविड जैसी महामारी के दौरान अपने परिवार से दूर रहकर लोगों की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आप सभी के योगदान को शब्दों में बाँधना कठिन है।

कार्यक्रम में अंत में आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं डॉ प्रियंका शुक्ला ने आभार व्यक्त किया। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर विधायक सर्व श्री पुरंदर मिश्रा, अनुज शर्मा, मोती लाल साहू, इंद्र कुमार साहू, गुरु खुशवंत साहेब के साथ ही महापौर मीनल चौबे, सीजीएमएससी के अध्यक्ष दीपक मस्के के साथ ही राज्यभर से आए स्वास्थ्य अधिकारी, मेडिकल छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

चिकित्सकों की अटूट सेवा भावना का स्वस्थ छत्तीसगढ़ के निर्माण में है अटूट योगदान - मुख्यमंत्री साय

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 रायपुर : चाहे कोरोना महामारी का संकट रहा हो या दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की चुनौती, हमारे डॉक्टरों ने हर परिस्थिति में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। उन्होंने अपने जीवन की परवाह किए बिना, सेवा को धर्म मानकर कार्य किया है। हम उन महान लोगों को कभी नहीं भूल सकते जिन्होंने कोरोना जैसी बड़ी महामारी के दौरान अपना फर्ज निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हमारी सरकार का उद्देश्य केवल सेवाओं की पहुंच बढ़ाना नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा राजधानी रायपुर स्थित स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ऑडिटोरियम, मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन न केवल चिकित्सा समुदाय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि छत्तीसगढ़ राज्य निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूता रहेगा।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हम सब जानते हैं कि डॉक्टरों का जीवन आसान नहीं होता। कठिन परिश्रम, लंबी ड्यूटी और मानसिक तनाव उनके दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। फिर भी वे अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटते। उनके साहस और समर्पण के कारण हमारा समाज सुरक्षित और स्वस्थ रहता है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आपके परिश्रम से ही हम एक स्वस्थ, सक्षम और सशक्त छत्तीसगढ़ का निर्माण कर सकते हैं। आज मैं केवल आप सभी को धन्यवाद देने नहीं आया हूं, बल्कि यह आश्वस्त करने भी आया हूं कि हमारी सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने डॉक्टर्स डे के विशेष अवसर पर सभी चिकित्सकों को बधाई देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग केवल एक सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि जीवन रक्षक प्रणाली है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि संकट के समय जब सभी लोग घरों में सुरक्षित रहने का प्रयास कर रहे थे, तब हमारे डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा में जुटे रहे। यह अदम्य साहस और समर्पण ही उनकी असली पहचान है। मंत्री श्री जायसवाल ने कहा कि हमारी सरकार की यह स्पष्ट नीति है कि हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचें और हर डॉक्टर को पूरा सम्मान और सहयोग मिले। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और अधिक सुदृढ़ और संवेदनशील बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने उपस्थित चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे इसी जज्बे और मानवीय संवेदना के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहें। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर हमने 109 संविदा चिकित्सकों एवं 563 ब्रांडेड डॉक्टरों के पदस्थापना आदेश जारी किए हैं।

इस अवसर पर कोविड-19 के दौरान सेवा देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए 14 चिकित्सकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई एवं उनके परिजनों को मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।भावुक क्षणों से भरे इस समारोह में समूचा सभागार कृतज्ञता एवं सम्मान की भावना से अभिभूत रहा।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री साय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 109 संविदा चिकित्सकों को नियुक्ति आदेश तथा एमबीबीएस बांड पोस्टिंग के प्रथम चरण में 563 अनुबंधित चिकित्सकों को नियुक्ति एवं पदस्थापना आदेश प्रदान किया।

इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया ने कहा कि यह दिन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हमारे चिकित्सकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी न केवल अपने दायित्वों का निर्वहन किया, बल्कि कोविड जैसी महामारी के दौरान अपने परिवार से दूर रहकर लोगों की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आपके योगदान को शब्दों में बांधना कठिन है। कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि शीघ्र ही शेष 92 एमबीबीएस बांड अनुबंधित चिकित्सकों एवं 157 विशेषज्ञ पीजी बांड चिकित्सकों के पोस्टिंग आदेश भी जारी किए जाएंगे।

कार्यक्रम में अंत में आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. प्रियंका शुक्ला ने आभार व्यक्त किया। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर विधायक सर्वश्री पुरंदर मिश्रा, अनुज शर्मा, मोतीलाल साहू, इंद्र कुमार साहू, गुरु खुशवंत साहेब के साथ ही महापौर मीनल चौबे, सीजीएमएससी के अध्यक्ष दीपक म्हस्के तथा राज्यभर से आए स्वास्थ्य अधिकारी, मेडिकल छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

Chhattisgarh : निवेश को लेकर बड़ा फैसला: अब सरकारी कर्मचारी खरीद सकेंगे शेयर और म्युचुअल फंड

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 रायपुर : सामान्य प्रशासन विभाग ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 में संशोधन अधिसूचित किया है, जिसके तहत भारत सरकार के प्रावधानों की तर्ज पर अब राज्य के शासकीय सेवकों को शेयर (Shares), प्रतिभूतियों (Securities), डिबेंचर्स (Debentures) और म्युचुअल फंड्स (Mutual Funds) में निवेश की अनुमति दी गई है। यह संशोधन नियम 19 में नया उप-खण्ड जोड़ते हुए लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।


हालांकि, अधिसूचना में यह स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि इंट्रा-डे ट्रेडिंग, बीटीएसटी (BTST), फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) तथा क्रिप्टोकरेंसी जैसे प्रकृति के निवेश गतिविधियों पर रोक लागू रहेगी।


महासमुंद में शिक्षा न्याय आंदोलन के तीसरे चरण में डीईओ कार्यालय का घेराव, युक्तियुक्तकरण और स्कूल बंदी के खिलाफ कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन

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महासमुंद। छत्तीसगढ़ में शिक्षा न्याय आंदोलन के तीसरे चरण के तहत महासमुंद जिले में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालय का घेराव किया गया। यह आंदोलन शिक्षकों की पद कटौती, स्कूलों के जबरन विलय और युक्तियुक्तकरण के विरोध में आयोजित किया गया।


प्रदर्शन का नेतृत्व अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सह-सचिव एवं प्रदेश सह-प्रभारी विजय जांगिड़, खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश यादव, सरायपाली विधायक चतुरी नंद, पूर्व मंत्री अमितेश शुक्ल और डॉ. रश्मि चंद्राकर ने किया। इस दौरान जिला प्रशासन को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

मुख्य आरोप और मांगें:

युक्तियुक्तकरण को रोजगार और शिक्षा विरोधी बताते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इससे प्रदेश में 45,000 से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त हो जाएंगे।

सरकार ने अब तक 10,463 स्कूलों को बंद कर दिया है, जिससे आदिवासी अंचलों, विशेषकर बस्तर, सरगुजा और जशपुर में बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी।

नया सेटअप लागू कर के शिक्षकों की न्यूनतम पद संख्या में कटौती की जा रही है जिससे भविष्य में भर्तियों के अवसर खत्म हो जाएंगे।

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि यह पूरा निर्णय एक राजनीतिक षड्यंत्र है, जिससे सरकारी स्कूलों को कमजोर कर प्राइवेट शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

जमीनी प्रभाव:

स्कूलों के विलय से जुड़े हजारों रसोईया, स्वीपर और महिला स्व-सहायता समूहों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है।

शिक्षकों की घटती संख्या के बीच उन पर 18 विषयों की पढ़ाई, मध्यान्ह भोजन, प्रशासनिक कार्यों सहित कई जिम्मेदारियाँ थोप दी गई हैं, जो व्यावहारिक नहीं है।

स्कूलों के बंद होने से छात्रों का ड्रॉपआउट रेट बढ़ने की आशंका है, विशेषकर दूरस्थ क्षेत्रों में।

आंकड़ों की नजर से:

58,000 से अधिक शिक्षकों के पद प्रदेश में खाली हैं, हर माह सैकड़ों शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन नई भर्तियाँ नहीं हो रहीं।

सरकार ने विधानसभा में 35,000 पद भरने का वादा किया था, बजट में 20,000 पदों की भर्ती की बात कही, लेकिन युक्तियुक्तकरण के जरिए 45,000 पद समाप्त किए जा रहे हैं।

विजय जांगिड़ का बयान:

"भाजपा सरकार की मंशा गरीबों को शिक्षा से वंचित करने की है। शिक्षकों की हड़ताल को रोकने की बजाय सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है। यह पूरी नीति शिक्षा और रोजगार विरोधी है।"

भारी जनसमर्थन:

इस प्रदर्शन में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि, युवक कांग्रेस, NSUI, महिला कांग्रेस एवं पालक संघों के सदस्य शामिल हुए। जिला, ब्लॉक, नगर और जनपद स्तर के नेताओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

युक्तियुक्तकरण , स्कूल शिक्षा विभाग का सर्वोत्तम निर्णय -गेंदलाल कोकडिया

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 महासमुंद। राज्य के शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से चर्चित कोकड़ी सरकारी स्कूल के समर्पित शिक्षक गेंदलाल कोकड़िया ने ‘युक्तियुक्तकरण’ प्रक्रिया को शिक्षा विभाग का सर्वोत्तम और साहसिक निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बिना किसी राजनीतिक प्रभाव और पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ, जिससे दूरस्थ और उपेक्षित गांवों के विद्यार्थियों के साथ न्याय हुआ है।


कोकड़िया, जो कि न तो कभी हड़ताल में शामिल होते हैं और न ही स्कूल बंद करते हैं, ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह पहली बार है जब किसी सरकार ने ईमानदारी और नीयत के साथ शिक्षा व्यवस्था में सुधार का साहसिक प्रयास किया है।

उन्होंने कहा कि वर्षों से कुछ सरकारी स्कूलों में शिक्षक आवश्यकता से अधिक तैनात थे, जबकि ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में एकल शिक्षक व्यवस्था से बच्चे वंचित हो रहे थे। युक्तियुक्तकरण से शहरी स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों को जरूरतमंद गांवों में स्थानांतरित किया गया, जिससे शैक्षणिक असमानता को दूर करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।

बंद स्कूलों को लेकर भी किया समर्थन

कोकड़िया ने छात्रविहीन या न्यूनतम दर्ज संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने के निर्णय को भी सही ठहराया। उन्होंने कहा कि ये निर्णय जनता के पैसों के सही उपयोग के लिए आवश्यक हैं। जिन स्कूलों में बच्चे ही नहीं हैं, उन्हें चालू रखने का कोई औचित्य नहीं है।

हड़तालों पर लिया स्पष्ट रुख


शिक्षक संगठनों की हड़तालों पर आलोचनात्मक रुख अपनाते हुए उन्होंने कहा कि “बच्चों की पढ़ाई रोककर हड़ताल करना शिक्षकीय मर्यादा के खिलाफ है। हड़ताल का अधिकार सरकार को देना ही नहीं चाहिए। मांगे मनवाने के अन्य वैकल्पिक और लोकतांत्रिक रास्ते हैं, लेकिन स्कूल बंद कर देना अन्यायपूर्ण है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पहले शाला प्रबंधन समितियों द्वारा स्कूलों में ताले लगाकर हड़ताली शिक्षकों को बाहर किया गया था, और इस बार भी ऐसी ज़रूरत पड़ सकती है।

पक्ष-विपक्ष से ऊपर उठकर सुधारों का समर्थन जरूरी

गेंदलाल कोकड़िया ने कहा कि किसी भी सरकार द्वारा लिए गए बच्चों और शिक्षा के हित में लिए गए फैसलों का समर्थन राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर करना चाहिए, ताकि बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाया जा सके।

युक्तियुक्तकरण ने जगाई स्कूलों की उम्मीद: शिक्षकविहीन स्कूलों में फिर गूंजे हिंदी, अंग्रेजी और गणित के पाठ

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 रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई युक्तियुक्तकरण नीति अब राज्य के दूरस्थ अंचलों के गांवों के विद्यालयों में नए उत्साह का संचार कर रही है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड के पाकरगांव स्थित प्राथमिक शाला इसका जीवंत उदाहरण बन चुकी है। लंबे समय तक शिक्षकविहीन रह चुकी यह शाला अब शिक्षा की आवाज़ से गूंज रही है।


पाकरगांव का यह स्कूल पहले चार वर्षों तक एकल शिक्षक के भरोसे संचालित होता रहा। बाद में शिक्षक के अन्यत्र तबादले के कारण स्कूल पूरी तरह शिक्षकविहीन हो गया। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई और पालकों में भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ने लगी थी। कई बच्चों ने स्कूल आना तक बंद कर दिया था।

सरकार द्वारा लागू युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं। इनकी नियमित उपस्थिति से विद्यालय की गतिविधियाँ फिर से सुचारू रूप से शुरू हो गई हैं। बच्चों को अब न केवल अक्षरज्ञान मिल रहा है, बल्कि हिंदी, अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों की व्यवस्थित शिक्षा भी मिल रही है। अंग्रेजी शब्दों का उच्चारण, हिंदी के पाठ, पहाड़े और गणित के सवालों के साथ कक्षा में फिर से रौनक लौट आई है।

बच्चों के साथ-साथ पालकों और ग्रामवासियों में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है। विद्यालय में नियमित कक्षाएं लगने से अब पालक अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए उत्साहित हैं। ग्रामवासी इस बदलाव को एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।

पाकरगांव प्राथमिक शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष त्रिनाथ सतपथी ने इस पहल को सराहते हुए कहा कि युक्तियुक्तकरण के चलते हमारे गांव के बच्चों को अब फिर से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा दो शिक्षकों की पदस्थापना से शाला में शिक्षा का माहौल सशक्त हुआ है और यह विद्यालय अब वास्तव में ज्ञान का केंद्र बन चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शासन प्रशासन के प्रति गांववासियों की ओर से आभार व्यक्त किया।

युक्तियुक्तकरण के माध्यम से न केवल शिक्षकविहीन स्कूलों को संबल मिला है, बल्कि यह नीति ग्रामीण अंचलों में शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता को भी नई ऊंचाई दे रही है।

छत्तीसगढ़ रेरा का बड़ा कदम: बिना पंजीकरण वाले प्रोजेक्ट्स पर कसा शिकंजा, बीते 7 वर्षों में 136 प्रकरणों पर स्वतः संज्ञान लेकर की गई कार्यवाही

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 रायपुर : छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण ने राज्य में रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक कड़ा कदम उठाया है। प्राधिकरण ने ऐसे 106 प्रोजेक्ट्स की पहचान की है जो टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से स्वीकृत होने के बावजूद अब तक रेरा अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं हुए हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इन प्रोजेक्ट्स का निर्माण अथवा विक्रय कार्य बिना वैधानिक रेरा पंजीकरण के किया जा रहा था, जो कि न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि उपभोक्ताओं के हितों के लिए भी अत्यंत नुकसानदेह है।


प्राधिकरण ने इन सभी प्रोजेक्ट्स के प्रमोटरों को नोटिस जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि रेरा अधिनियम, 2016 का पालन सुनिश्चित करना प्रत्येक प्रमोटर की जिम्मेदारी है। प्राधिकरण ने जानकारी दी है कि पिछले सात वर्षों में 136 प्रोजेक्ट्स के विरुद्ध स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही की गई है, जिनमें प्रमोटरों द्वारा बिना पंजीकरण कार्य संचालित किया गया था।

रेरा अधिनियम के अनुसार, बिना पंजीकरण प्रोजेक्ट संचालित करने पर पंजीकरण शुल्क का 400 प्रतिशत तक अतिरिक्त शुल्क और परियोजना लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है। रेरा अधिनियम की यही विशेषता है कि वह न केवल उपभोक्ताओं को सुरक्षित निवेश का वातावरण देता है, बल्कि रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और समयबद्धता भी सुनिश्चित करता है।

सीजी रेरा ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की संपत्ति जैसे फ्लैट, प्लॉट, विला या व्यावसायिक इकाई खरीदने से पहले यह अवश्य जांच लें कि संबंधित परियोजना रेरा में पंजीकृत है या नहीं। इसके लिए https://rera.cgstate.gov.in/ पोर्टल पर जाकर परियोजना की पंजीकरण स्थिति की जांच की जा सकती है। वहीं, प्रमोटरों को भी सलाह दी गई है कि वे अपनी परियोजनाओं को विधिवत रजिस्ट्रेशन कराएं ताकि किसी प्रकार की शास्ति या कानूनी कार्यवाही से बचा जा सके।

प्राधिकरण का उद्देश्य स्पष्ट है कि वह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना चाहता है और अनियमित एवं अराजक प्रोजेक्ट्स पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। घर खरीदने से पहले रेरा पंजीयन की पुष्टि अवश्य करें, इसी संदेश के साथ सीजी रेरा ने जिम्मेदार नागरिकों और ईमानदार डेवलपर्स से सहयोग की अपील की है।

कृषि अभियांत्रिकी एवं फूड टेक्नोलॉजी में प्रवेश प्रारंभ, आवेदन की अंतिम तिथि 3 जुलाई तक

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 रायपुर : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी), रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए चार वर्षीय बी.टेक. पाठ्यक्रमों (एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग और फूड टेक्नोलॉजी) में प्रवेश हेतु आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 03 जुलाई 2025 तक निर्धारित है। ये विषय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये खाद्य सुरक्षा, कृषि उत्पादकता वृद्धि, संसाधनों के सतत प्रबंधन और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कृषि अभियांत्रिकी के अंतर्गत कृषि यंत्रीकरण, सिंचाई प्रणाली, मृदा एवं जल संरक्षण और फसल कटाई उपरांत तकनीक की पढ़ाई होती है, जबकि फूड टेक्नोलॉजी में खाद्य प्रसंस्करण, संरक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण के वैज्ञानिक तरीकों पर जोर दिया जाता है, जिससे देश की पोषण सुरक्षा मजबूत होती है।


इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने के बाद छात्रों को निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में व्यापक रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। कृषि यंत्रीकरण उद्योग, सिंचाई विभाग, कृषि विकास परियोजनाएं, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, एफएसएसएआई, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण विभाग, कृषि अनुसंधान संस्थान और बैंकों में विशेषज्ञ या अधिकारी के रूप में रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। साथ ही, ये पाठ्यक्रम स्वरोजगार और स्टार्टअप की संभावनाओं को भी बढ़ावा देते हैं।

कक्षा 12वीं में गणित, भौतिकी, रसायन और अंग्रेज़ी विषय के साथ उत्तीर्ण छात्र आवेदन के पात्र हैं। प्रवेश में वरीयता इस क्रम में दी जाएगी रू प्रथमकृवे छात्र जिन्होंने पीईटी-2025 (प्री एग्रीकल्चर टेस्ट) दिया है; द्वितीयकृजेईई-मेन-2025 के योग्य अभ्यर्थी; तृतीयकृछत्तीसगढ़ निवास प्रमाणित (डोमिसाइल) छात्र जिन्होंने 12वीं (मैथ्स ग्रुप) में न्यूनतम 50% अंक प्राप्त किए हों; और अंत में अन्य राज्यों के पात्र छात्र।

आवेदन केवल विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट https://igkv.ac.in/site/ पर उपलब्ध ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से ही किया जा सकता है। फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 3 जुलाई 2025 है। आवेदन प्रक्रिया, काउंसलिंग के दिशा-निर्देश और काउंसलिंग कार्यक्रम से जुड़ी पूरी जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इच्छुक अभ्यर्थियों से अनुरोध है कि वे नियमित रूप से वेबसाइट देखते रहें और सभी निर्देशों का पालन करें।

यह उन छात्रों के लिए सुनहरा अवसर है जो कृषि और खाद्य प्रौद्योगिकी में करियर बनाकर देश की प्रगति में योगदान देना चाहते हैं। आईजीकेवी, रायपुर में प्रवेश लेकर इसकृपरिवर्तन का हिस्सा बनें और एक उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।

महासमुंद : कलेक्टर ने ली समय सीमा की बैठक, विकास कार्यां में प्रगति लाने के निर्देश

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 महासमुंद : कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में समय-सीमा बैठक लेकर जिले के विभिन्न विभागों की योजनाओं और कार्यक्रमों की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में जिला पंचायत सीईओ एस आलोक, अपर कलेक्टर रवि कुमार साहू एवं रविराज ठाकुर एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।


बैठक में कलेक्टर लंगेह ने जिले में मुख्यमंत्री घोषणाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए कार्य एजेंसियों को समय-सीमा में कार्य पूर्ण करने के सख्त निर्देश दिए गए। उन्होंने सभी निर्माण एजेंसियों को त्वरित कार्य करने के निर्देश दिए हैं तथा प्रगति की नियमित रूप से जानकारी देने कहा गया। उन्होंने धरती आबा जनजाति उत्कर्ष अभियान की प्रगति की समीक्षा करते हुए हितग्राहियों द्वारा किए गए पंजीयन का विभिन्न विभागों द्वारा 15 दिवस के भीतर निराकरण करने कहा गया है। उल्लेखनीय है कि जिले में कुल 32 शिविर लगाए गए थे। जिनमें 4347 हितग्राहियों का पंजीयन विभिन्न सेवाओं के लिए किया गया है।

कलेक्टर ने ग्राम जोरातराई और धनसूली में बहुउद्देशीय केंद्र के निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश आदिवासी विकास विभाग को दिए गए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य जुलाई तक पूर्ण कर लिया जाए। मोर गांव मोर पानी अभियान अंतर्गत डबरी निर्माण और जनभागीदारी से सोख्ता गड्ढा निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। जिले में जो बोर बंद हो चुके हैं या खराब हो गए हैं, इन बोरों में इंजेक्शन वाल के माध्यम से वाटर रिचार्ज की संभावनाओं का परीक्षण करने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने जनभागीदारी से प्रधानमंत्री आवास योजना द्वारा निर्मित आवासों में सोख्ता गड्ढा भी बनाने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने सभी निर्माणाधीन शासकीय आवासों में अनिवार्य रूप से जल संचयन के लिए सोख्ता गड्ढा बनाने के निर्देश दिए। पीएम जनमन अंतर्गत बनाए गए आवासों में सोख्ता गड्ढा बनाने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक के दौरान मौसम को देखते हुए डायरिया एवं अन्य मौसमी बीमारियों के लिए स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

कलेक्टर ने खाद-बीज वितरण की समीक्षा करते हुए कहा कि जिले में खाद का पर्याप्त स्टॉक है। इसका समय पर वितरण सुनिश्चित किया जाए। निजी दुकानों में नियमित निरीक्षण करने के निर्देश एसडीएम को दिए गए। उन्होंने कहा कि वितरण के पश्चात पॉस मशीन में तत्काल एंट्री की जाए और डीएपी के विकल्प के रूप में सुपरफास्ट और यूरिया भी किसानों को उपलब्ध कराई जाए। कलेक्टर ने कहा कि हितग्राहियों को तीन माह का एकमुश्त राशन सुरक्षित तरीके से वितरित किया जाए। इसके लिए रोस्टर बनाया जाए और पटवारी तथा सचिवों की ड्यूटी लगाई जाए। साथ ही मृत व्यक्तियों का नाम राशन कार्ड से हटाई जाए। खाद्य अधिकारी ने बताया कि राशन वितरण का कार्य अब 7 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने पिथौरा, सरायपाली, बसना में निर्माणाधीन गौरव पथ में तेजी लाने और गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

बैठक में पीएम जनमन, स्वामित्व योजना, भू-अर्जन, नक्शा अपडेशन, आयुष्मान कार्ड, प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की प्रगति की भी विस्तार से समीक्षा की गई। राजस्व एवं खनिज विभाग को अवैध रेत उत्खनन, भण्डारण एवं परिवहन पर निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि लंबित मामलों का शीघ्र और प्रभावी निराकरण सुनिश्चित किया जाए।

 

रायपुर-केंद्री मार्ग पर भीषण सड़क हादसा: यात्री बस ने हाइवा को मारी टक्कर, तीन की मौत, कई घायल

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 रायपुर। राजधानी से लगे केंद्री गांव के पास मंगलवार तड़के एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। जगदलपुर से रायपुर आ रही एक यात्री बस ने हाइवा वाहन को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे मौके पर ही तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि कई यात्री घायल हो गए हैं।


हादसा सुबह करीब 4:15 बजे अभनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत केंद्री गांव के पास हुआ। रॉयल ट्रेवल्स की यात्री बस (क्रमांक CG 04 E 4060) रायपुर की ओर जा रही थी, तभी अचानक वह आगे चल रही हाइवा से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बस का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।

हादसे में बलराम पटेल, अजहर अली और बरखा ठाकुर की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, धनीराम सेठिया, गणेश्वर प्रसाद बर्मन, तीजन यादव, भूषण निषाद, सुमन देवी और संध्या कुमार सहित कई यात्री घायल हो गए। घायलों को तत्काल अभनपुर के शासकीय अस्पताल पहुंचाया गया, जबकि कुछ गंभीर रूप से घायलों को पास के अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया गया। मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। वहीं, सुरक्षित बचे यात्रियों को दूसरी बस के जरिए गंतव्य के लिए रवाना किया गया।

फिलहाल पुलिस दुर्घटना के कारणों की जांच कर रही है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, रफ्तार और लापरवाही की आशंका जताई जा रही है।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग में व्यापक फेरबदल: लंबे समय से जमे कर्मचारियों के तबादले, सहायक ग्रेड-2 से प्यून तक शामिल

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 रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग में प्रशासनिक सख्ती के तहत व्यापक स्तर पर तबादले किए गए हैं। इस तबादला सूची में कलेक्टर कार्यालयों में पदस्थ सहायक ग्रेड-2, सहायक ग्रेड-3, स्टेनो टायपिस्ट और प्यून जैसे वर्ग-3 व वर्ग-4 के कर्मचारी शामिल हैं।


सूत्रों के मुताबिक, ये सभी कर्मचारी लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे हुए थे। विभागीय समीक्षा के दौरान इसे प्रशासनिक अनुशासन और कार्य निष्पादन की पारदर्शिता के लिहाज से उचित नहीं माना गया। इसी के तहत इनका तबादला आदेश जारी किया गया है।




छत्तीसगढ़: 7 जुलाई तक तीन माह का राशन वितरण, उपभोक्ताओं को मिली बड़ी राहत

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 Chhattisgarh : तीन महीने का राशन पाने के लिए कतार में लगे लोगों के चेहरे अब थोड़े राहत भरे दिखेंगे। जून बीत जाने के बावजूद जब तक राशन पूरी तरह नहीं बंटा, तब तक उपभोक्ताओं में असमंजस बना रहा। शासन की ओर से कोई स्पष्ट तारीख तय नहीं होने से स्थिति और उलझती चली गई।


पिछले कुछ दिनों में कई स्थानों पर उपभोक्ताओं और राशन दुकानदारों के बीच कहासुनी भी हुई। राशन न मिलने की वजह से लोग गुस्से में दिखे। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर नाराज़गी थी कि बिना तय तारीख के कैसे सभी को समय पर अनाज मिलेगा।

हालांकि, अब शासन ने राहत का रास्ता खोलते हुए 7 जुलाई तक राशन वितरण की समयसीमा बढ़ा दी है। यह निर्णय उन लोगों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है जो भीड़ या समय की कमी की वजह से अब तक राशन नहीं ले सके थे।

सरकार द्वारा जून, जुलाई और अगस्त – तीनों महीने का राशन एक साथ दिया जा रहा है, जिससे दुकानों में भीड़ काफी बढ़ गई है। दुकानदारों पर एक साथ ज्यादा लोगों को अनाज देने का दबाव रहा, वहीं उपभोक्ताओं को भी घंटों लाइन में लगना पड़ा।

30 जून तक सिर्फ 75 से 80 फीसदी हितग्राहियों को ही राशन मिल पाया था। शेष 20-25 फीसदी लोग अभी भी इंतजार में हैं। प्रशासन के इस फैसले से उम्मीद है कि अब कोई भी खाली हाथ नहीं लौटेगा।

छत्तीसगढ़ में लॉजिस्टिक हब बनाने पर निजी निवेशकों को मिलेगा 140 करोड़ तक अनुदान, लॉजिस्टिक्स नीति 2025 को मिली मंजूरी

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ लॉजिस्टिक्स नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। इस नई नीति के तहत राज्य सरकार लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 140 करोड़ रुपये तक की अनुदान राशि और अन्य कई रियायतें देगी।


लॉजिस्टिक हब, ड्राइ पोर्ट, इनलैंड कंटेनर डिपो, एयर कार्गाे टर्मिनल और गति-शक्ति कार्गाे टर्मिनल जैसे अधोसंरचना लागत का 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 140 करोड़ रुपये होगी। इसके अतिरिक्त बाह्य अधोसंरचना हेतु 50 प्रतिशत अनुदान सहित अन्य रियायतें निवेशकों को दी जाएगी। ट्रांसपोर्ट हब या फ्रेट स्टेशन के लिए यह अनुदान 35 प्रतिशत होगा, जिसकी अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपये प्रावधानित है। राज्य सरकार का लक्ष्य छत्तीसगढ़ को देश के प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित करना है, जिससे उद्योगों, व्यापारियों और किसानों को सस्ती और आधुनिक भंडारण सुविधाएं मिल सकें।

मध्य भारत में स्थित छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति लॉजिस्टिक्स गतिविधियों के लिए उपयुक्त है। इसी का लाभ उठाते हुए राज्य सरकार अब लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करेगी। इससे राज्य की भंडारण क्षमता बढ़ेगी और लॉजिस्टिक्स की लागत घटेगी, जिससे व्यापार और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

इस नीति के तहत ड्राइ पोर्ट, कंटेनर डिपो और एयर कार्गाे टर्मिनल की स्थापना से स्थानीय उद्योगों और उत्पादकों को निर्यात बाजार तक पहुंचने का मौका मिलेगा। साथ ही वन संसाधन, वनोपज और औषधीय पौधों के लिए निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे। युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने पर 35 से 45 प्रतिशत तक पूंजी निवेश अनुदान, 50 से 60 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान सहित विद्युत शुल्क और स्टांप शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया है। इसी तरह लॉजिस्टिक पार्क के लिए प्रति एकड़ 25 लाख तक अनुदान, बाहरी अधोसंरचना के लिए 50 प्रतिशत सहायता, बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों में 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा। ग्रीन लॉजिस्टिक्स अपनाने पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किया गया है। 500 करोड़ से अधिक निवेश या 1000 से अधिक लोगों को रोजगार देने पर विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

इस नीति का उद्देश्य राज्य में लॉजिस्टिक लागत को कम करना, आधुनिक मल्टीमोडल अधोसंरचना विकसित करना, निर्यात अधोसंरचना को मजबूत करना और लॉजिस्टिक सेक्टर में निजी निवेश को बढ़ाना है। यहां उल्लेखनीय है कि पहले औद्योगिक नीति के तहत लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलता था, लेकिन अब भारत सरकार के लीड्स सर्वे के अनुरूप छत्तीसगढ़ ने स्वतंत्र लॉजिस्टिक नीति बनाकर देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में कदम रख दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस नई पहल से जहां निवेश को नई दिशा मिलेगी, वहीं रोजगार, व्यापार और निर्यात के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख राज्य होगा।

जनसंपर्क विभाग के उपसंचालक आनंद प्रकाश सोलंकी को सेवानिवृत्ति पर दी गई गरिमामय विदाई

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 रायपुर : जनसंपर्क विभाग में 31 वर्षों तक अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले उप संचालक आनंद प्रकाश सोलंकी के सेवानिवृत्ति अवसर पर 30 जून सोमवार को जनसंपर्क संचालनालय में एक गरिमामय विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अपर संचालक उमेश मिश्रा एवं संजीव तिवारी सहित विभाग अधिकारियों एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। सभी ने सोलंकी की सेवा, समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा और योगदान को याद करते हुए उन्हें भावभीनी विदाई दी।


यहां यह उल्लेखनीय है कि आनंद प्रकाश सोलंकी ने अपने सेवाकाल के 23 वर्ष तक मुख्यमंत्री प्रेस प्रकोष्ठ में एक जिम्मेदार अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए राज्य शासन की योजनाओं एवं नीतियों को जनता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह उनके कार्यकुशलता,निष्ठा और विश्वास का प्रमाण है। विभागीय अधिकारियों ने इस अवसर पर सोलंकी के उज्ज्वल भविष्य और सुदीर्ध स्वस्थ्य जीवन की कामना की। अपर संचालक उमेश मिश्रा एवं संयुक्त संचालक बी.एम तंबोली ने कहा कि सोलंकी का सरल व्यवहार, उनकी सौम्यता और कार्यशैली अनुकरणीय है।

समारोह में उनके साथ कार्य कर चुके सहकर्मियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर अपर संचालक द्वय ने सोलंकी को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें शुभकामनाएं दी। आनंद प्रकाश सोलंकी ने इस मौके पर विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों से प्राप्त मार्गदर्शन और सहकर्मियों से मिले सहयोग के लिए आभार जताते हुए कहा कि आप सभी लोगों के सहयोग से ही वह अपने दायित्वों के निर्वहन में सफल रहे हैं।

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